Wednesday, 25 May 2011

अजनबी दोस्ती......

अजनबी दोस्ती......

दर्द में कुछ कमी-सी लगती है
जिन्दगी अजनबी-सी लगती है

एतबारे वफ़ा अरे तौबा
दुश्मनी दोस्ती-सी लगती है

मेरी दीवानगी कोई देखे
धुप भी चांदनी-सी लगती है

सोंचता हूँ की मैं किधर जाऊँ
हर तरफ रौशनी-सी लगती है

आज की जिन्दगी अरे तौबा
मीर की सायरी सी लगती है

शाम-ऐ-हस्ती की लौ बहुत कम है
ये सहर आखरी-सी लगती है

जाने क्या बात हो गयी यारों
हर नजर अजनबी-सी लगती है
दोस्ती अजनबी-सी लगती है.....

1 comment:

  1. हुई तो थी रौशन शमां आये भी थे कुछ परवाने |
    आगाज तो अच्छा ही था अब अंजाम खुदा जाने |

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